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Kanchan Prabha

Abstract

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Kanchan Prabha

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अनजान सफर

अनजान सफर

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धरती पर हम आये है

ये भी है अनजान सफर

एक दिन छोड़ जायेंगे

ये था मेरा अनजान सफर

ये रिश्ते ये नाते सब तो है

अनजान सफर


फिर क्यों रोए इंसान ये

तो है अनजान सफर

मिट्टी में ही मिलना है

सब नाते अनजान सफर

किसी का कोई अपना नहीं

दिल भी तो अनजान सफर

शरीर ढाँचे और हृदय पाश

सब तो है अनजान सफर

दुख ना कर ए मुसाफ़िर

जाना भी अनजान सफर





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