मेरे आँगन में गौरैया
मेरे आँगन में गौरैया
मेरे गाँव में है
मेरे आँगन में गौरैया
देखो खूब फुदकती हैं
दाना पानी खाकर मुझसे
अंबर में उड़ जाती हैं ये
अलबेलापन मेरे गाँव में है
भोर भए अमुआ की डाली
पर कोयलिया गाती है
सजन बिना सजनी देखो ,
दर्पण में ही मुस्काती है
ये अलबेलापन .
सूरज की पहली किरणें
नदियों से मिलने आती हैं
कंचन जल में नहा के माँ
दीपक रोज लगाती है
ये अलबेलापन.
खेतों में गेहूँ की बाली
हवा से बातें करती हैं
सरसों के फूलों से तितली
रस पीकर उड़ जाती है
ये अलबेलापन
त्यौहारों की छटा निराली
हर घर में खुशहाली है
राम - रहीम के घर में देखो
रोज ईद -दिवाली है ये अलबेलापन
सोंधी-सोंधी खुशबू
गाँव की मिट्टी से आती है
फूलों के बागों में जैसे,
नई ऋतु सी आती है
ये अलबेलापन