किसी की नज़र
किसी की नज़र
किसी की नजर में,
मैं बसने लगा हूँ।
जमाने को अब मैं,
चुभने लगा हूँ।
मुकद्दर है मेरा,
मेरे पास वो है।
रईसों को मैं,
अब खलने लगा हूँ।
सड़क छाप और
मोहताज था मैं।
मगर मैं अब दिलों में,
बसने लगा हूँ।
चमकता था मैं
अब तलक जुगनू जैसा।
गर्दिश का तारा,
बन चमकने लगा हूँ।
करो फैसला अब
मुझे मारने वालों।
मुट्ठी से रेत-सा,
अब फिसलने लगा हूँ।
इश्क की मैंने
दुनिया बसा ली।
यारो, मोहब्बत का पैगम्बर,
अब बनने लगा हूँ।