Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer
Become a PUBLISHED AUTHOR at just 1999/- INR!! Limited Period Offer

Vinod Nayak

Romance

2  

Vinod Nayak

Romance

निगाहों में अपनी

निगाहों में अपनी

1 min
100


निगाहों में अपनी, ये चाहत के बादल

लिए तुम बताओ, कहाँ जा रही हो


मुझसे खफ़ा या खुद से जुदा तुम

ख़ुदा का करिश्मा कहाँ जा रही हो


तस्वीर अपनी मेरे दिल में रखकर 

यादों को लेकर कहाँ जा रही हो


ख़ुशियों की कलियाँ सफर में बिछा कर

तुम मुस्कुरा कर कहाँ जा रही हो


सितारों की साड़ी में तुम चाँद लेकर 

घूँघट गिरा कर कहाँ जा रही हो

  



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Romance