प्रेम
प्रेम
तुम हो मेरे प्रिय, प्रियतम हो मेरे
एक इरादा भी तू, मेरा वादा भी तू
मेरी राहे भी तू, मेरी मंज़िल भी तू
जो चले हर कहीं, हर कहानी लिए
जो दिलों में छिपा, प्रेम बनकर प्रिय
सांसो में बसा मेरी, तेरी ख़ुशबू लिए
माथे सजा मेरे, ये बिंदिया बने
मेरा कंगन भी तू, उसकी खन खन भी तू
ये पायल भी तू, उसकी रुन झुन भी तू
तेरी गली जो बहे, वो पवन में बनी
रुके तुझ पे ही, वो नज़र में बनी
मेरी तन्हाई जो, तेरी आहट सुने
सपने ये तेरे, मेरे नयन मूँद ले
ख़ुशियाँ ये मेरी, तेरे कदमों तले
ये रातें मेरी, राह पल पल तके
हाथों में पूजा की थाली लिए
तेरी सलामती की मन्नत किए
मैं देखूँ हर दीपक में चेहरा तेरा
हर बाती में खुद को पाऊँ प्रिय
तू सूरज मेरा में तेरी साँझ बनूँ
तू मेरा दीपक में तेरी बाती बनी
ये तेरा मेरा मिलन, जैसे राग कोई
तू धड़कन मेरी, मैं तेरा दिल ही हूँ
तू मेरा चाँद है, मैं तेरी चाँदनी
तू मेरा राग है, मैं तेरी रागिनी
तुम हो मेरे प्रिय, प्रियतम हो मेरे
एक इरादा भी तू, मेरा वादा भी तू ।

