उन्माद
उन्माद
ये उन्माद जैसा है
शीतल जलधारा में कोपल पांव के स्पर्श सा है
व्याख्या जो भी हो इस संगम की परंतु
इसके पीछे ईश्वरीय योजना लगती है
तुमसे कविताओं में मिलता हूं
शब्द बन तुम्हारे तालू पे ठहरता हूं
तुम्हें ये हमारे तुम्हारे दरमियान घटित घटना कुछ रचनात्मक नहीं लगता है
अब इसे खारिज करना शायद गलत लगता है
तुम्हारे सांसों की पुर्वय्या से मेरा मुरझाया मन खिलता है
ज्यों कह दो कूनू
तो सौ साल की धड़कन एक पल में धड़कता है
क्या क्या बयां करूं मैं
इक पल भी बिन तुम्हारे ख्यालों के नहीं कटता है.