क्या क्या बयां करूं मैं इक पल भी बिन तुम्हारे ख्यालों के नहीं कटता है. क्या क्या बयां करूं मैं इक पल भी बिन तुम्हारे ख्यालों के नहीं कटता है.
बसंत तुम जब आते हो प्रकृति में नव -उमंग, उन्माद भर जाते हो। बसंत तुम जब आते हो प्रकृति में नव -उमंग, उन्माद भर जाते हो।
मन तेरा ही स्थिर नहीं जीत सकेगा कैसे! मन तेरा ही स्थिर नहीं जीत सकेगा कैसे!