इश्क का रिश्ता
इश्क का रिश्ता
1 min
247
बिखरा जुल्फों की घटा, यूं चला तीर नैनो के
सुर्ख लाली जो गालों पे आई है इस क़दर
देखकर उड़ गए होश चाहने वालों के,
ये खूबसूरती, ये आपकी बेपनाह मुस्कान
क्या करेगी घायल या लेगी मेरी जान
ऊपर से ये सहज सादगी अपकी
दे रही मिसाल आफताब की
खुशकिस्मती मेरी जो करीब हूं आपके
लगते हैं अब तो
इश्क के सिवा सब रिश्ते बेनाम के।