मेरे इन्हीं हाथों से लड़ी की लड़ी, इमारतें बनी खड़ी हैं। मगर विडम्बना यह है कि, मेरे पीछे पुश्... मेरे इन्हीं हाथों से लड़ी की लड़ी, इमारतें बनी खड़ी हैं। मगर विडम्बना यह है क...
ये नादान रिश्ते इन सब में उलझे हुए जाने क्यूँ बनते हैं ये बेनाम रिश्ते। ये नादान रिश्ते इन सब में उलझे हुए जाने क्यूँ बनते हैं ये बेनाम रिश्ते।
ना जाने, अपनी आह कैसे भरूँ ? ऐ दिल तू ही बता... इस दिल का करूँ ना जाने, अपनी आह कैसे भरूँ ? ऐ दिल तू ही बता... इस दिल का करूँ
अनोखे रूप में आते हैं वो फरिश्ते जो निभा जाते है कुछ 'अनकहे से रिश्ते'। अनोखे रूप में आते हैं वो फरिश्ते जो निभा जाते है कुछ 'अनकहे से रिश्ते'।
हम अधूरे-अधूरे से पैगाम हो गए। हम अधूरे-अधूरे से पैगाम हो गए।
हर दफ़ा काम आये ये बेगाने से रिश्ते हर दफ़ा काम आये ये बेगाने से रिश्ते