इस दिल का क्या करुँ ?
इस दिल का क्या करुँ ?
कितना समझाऊँ ये नहीं मानता
पगला है, मेरे हाल को नहीं जानता
अनजानेमें ही सही, करे गुस्ताखियाँ
इसके जिदों से, छायी है खामोशियाँ
कैसे सिखाऊँ इसे, प्यार की भाषा
जीने के उम्मीद हैं, सपनों की आशा
बड़ा जिद्दी है, करे परेशान
इसकी तक़लीफों से, हूँ मैं हैरान
बेनाम गलियों में भटके आवारा
ढूंढता है, कड़ी धूप में, शीतल बहारा
डर लगता है, इससे हो ना जाये दूर
इसे कैसे बताऊँ, ये तो है. ख़ुशी का नूर
ना जाने, अपनी आह कैसे भरूँ ?
ऐ दिल तू ही बता... इस दिल का करूँ।