STORYMIRROR

sandeeep kajale

Others

3  

sandeeep kajale

Others

उलझनें

उलझनें

1 min
138

दिल को छलनी करते

ये अजीब से सवाल

जवाबों में ही खोये

कैसा हुआ हमारा हाल


ज़िंदगी बानी है

खत्म ना होने वाली पहेली

राहों में, में खड़ी

साथी ना, कोई सहेली


कैसा ये कोहरा मचा

फँस गए बीच भंवर

अब इससे बहार आना

मुश्किल

कैसे खुद को लूँ संवार


जाने अनजाने में, मुझसे

हो गयी कुछ ग़लतियाँ

इश्क में हासिल हुई

दर्द की पंक्तियाँ


दर-दर भटकी, खायी

बहुत मैंने ठोकर

किसी के ना हो सके

ज़िंदगी में, उसके होकर


वक्त भी लेता है

पल भर में करवटें

सपनों की चादर में

ढूंढते रहे, वो सिलवटें


बस यही खयाल है

की कब होगी सुलझनें

दूर हो गए हम खुद से

कैसे है ये उलझनें



Rate this content
Log in