दिल सा नहीं कोई कमीना
दिल सा नहीं कोई कमीना
बड़ा बेवफा है, लगे ये हरजाई
ज़िन्दगी पर ख्वाबों की घटा लहराई
कई अंजान, बातों को अंदर रखे
अपने, अरमानों को सितम से ढके
कहना चाहता है,मगर चुप सा है
बादलों में छिपता, अनकही धुप सा है
रोक देता है ये बढ़ते कदम
बेशक ये है संगदिल सनम
पैरों में डालता है, शर्तों की जंजीरें
क़त्ल-ऐ-आम करें, इसकी मीठी खंजीरें
क्या बात है, क्या है मेरा कसूर
चुभता है, इसमें यादों के नासूर
कर देता है हमेशा मुश्किल जीना
बेख़ौफ़, दिल सा नहीं कोई कमीना।