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sandeeep kajale

Romance

3  

sandeeep kajale

Romance

दिल ना लगे

दिल ना लगे

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ग़मों के बदल का कारवाँ चला

सिर्फ तन्हाई और दर्द मिला


इन आखों की रोकें कैसे मस्तियाँ

डर नहीं उसे,करे हमेशा गुस्ताखियाँ


समझाये कैसे, है नादान बड़ा

बीच राह में पत्थर की तरह खड़ा


मेरे कई सवाल उसके पास पड़े हैं

पतझड़ से पहले ही पत्तें झड़े हैं


यादों में भीगा करती है पलकें

अश्कों से इश्क की दास्ताँ झलके


कहना है, लेकिन लब्ज़ लगे खामोश

अजीब सा कोहरा है, ये कैसा आगोश


मनाये कैसे, जो तक़दीर ही रूठे

सारे वादे, इरादे लगते हैं झूठे


अपने अंदर की आवाज हमेशा सुनते

नये सपनों को हम रहे बुनते


यादों के पल खुश इस तरह बिखरे

सच्चाई की कसौटी पे रिश्ते निखरे


कभी भी ये रातों को ना जगे

ऐसा हो, किसी से दिल ना लगे।



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