लतिका का एक तरफा प्यार
लतिका का एक तरफा प्यार
प्यार कब किस्से हो जाए ये पता ही नहीं चलता।अगर टाइमिंग सही रही तो आपको आपका प्यार मिल जाएगा वरना आपको खुद ही पता है क्या होगा ...।
हर किसी को उनकी जिंदगी में सच्चा प्यार नहीं मिलता। अपना प्यार ना मिलने पर कुछ लोग मूव ऑन कर जाते हैं तो और कुछ लोग लाइफ टाइम जहां थे वहीं पर अटक जाते हैं। हर किसी का अपना-अपना सोच होता है। चलिए ज्यादा वक्त न जाहिर करते हुए शुरू करते हैं एक प्यार की अनोखी आधी अधूरी सी कहानी।इस कहानी का दो अहम किरदार है भिक्टर और लतिका ।यहां पर भिक्टर अपना बात वर्णना करते हुए बोलता है कि........
याद ही नहीं कितने जवान हुए थे हम?
इस बढ़ती जवानी में कोई किसी को पसंद भी करेगा कभी सोचा भी नहीं था हमने।प्यार कब किस्से कहां पर हो जाए यह पता ही नहीं है । प्यार किस दौर पर आकर खड़ा कर दिगा वह भी नहीं पता हमें ।और सबसे अहम बात यह है की कम उमरा में मुझसे कोई प्यार करेगा यह कभी सोचा ही नहीं था।खुदका प्रेम कहानी कुछ ऐसा शुरू होगा कभी नहीं सोचा था मैंने।
एक सुंदर सी लड़की कभी मुझे चाहेगी ये कभी नहीं सोचा था मैंने।
मैं बात कर रहा हूं मेरे स्कूल की एक सबसे सुंदर लड़की लतिका के बारे में। जिसके पीछे सारा स्कूल दीवाना था और वह मुझमें पर दीवानी थी ये बात तो मेरे कल्पना से बाहर ही था।
हाँ कहानी है मेरा 10वीं क्लास का।पूरी 10वीं क्लास जब लतिका को अपना बनाना चाहता था, तब लतिका ने सिर्फ और सिर्फ मुझे चुनी थी और मैं अंजन बुद्धु सा लड़का बस इस कहानी को दोस्ती समझता था।
अब आप मुझसे नहीं पूछोगे क्या मेरी लतिका कैसी दिखती थी?
अरे क्या कल्पना करके बोलूं आपको उसके बारे में नाम जैसि थि चाल भी वैसा थि एकदम मटक मटक के चलती थी।खुले खुले सीधे बाल काजल से भरी आंखें, रसगुल्ले के जैसे मुंह और उसके होठों जैसा कोई गुलाब के पंखुड़ी हो रंग गोरा नरम सा दिल और बात तो जैसे कोयल को सुनता हुआ लगता था।
कामियां तो जैसे उसमें थी ही नहीं अब बोलो कौन नहीं बनाना चाहेगा उसको अपनी मनपसंद लड़की ।मेरे लेतीका है हि इतना लाजवाब।ऐसा नहीं था कि हम
दोनों सिर्फ एक क्लास में पढ़ते थे बाल्की हम दोनों एक साथ ट्यूशन में भी पढ़ते थे। ट्यूशन में सिर्फ मैं और लतिका नहीं बल्की मेरे बहुत सारे छिछोरे दोस्त भी पढ़ते थे और उनके साथ लतिका की एक आधी सहेली भी आया करती थी।
हम सारे दोस्त एक ही कॉलोनी के थे, ये बात अलग है सभी के घर पास में नहीं था, मगर आंखें घुमाने पर देख लो तो अगल बगल में हमारे सारे दोस्त का घर दिख जाता था। हम सारे दोस्त शाम के 6:00 बजे हमारी कॉलोनी के चौक में एक साथ मिलते थे और एक साथ ट्यूशन के लिए निकलते थे । ट्यूशन खत्म होने के बाद रात में मज़ाक, मस्ती कर के सारे दोस्त घर चले जाते थे। हम लोग के साथ कभी कभी लतिका भी आती थी ।उसकी सहेलियाँ भी साथ रहती थी। मैं एक दफा नहीं कहीं दफा देखा हुं लतिका का नज़र मेरी तरफ होते हुऐ।मगर मैं उसकी प्यार भरी नजरों को कैसे नजर अंदाज कर लेता था वह मुझे भी नहीं पता।मैं तो सोच रहा था कि हम दोनों सिर्फ अच्छे दोस्त हैं उसके दिल में मेरे लिए जगह क्यों था वह भी मुझे नहीं पता था । मेरी लतिका ऐसे किसी को भी भाव नहीं देती थी किसी को अपनी चीज शेयर नहीं करती थी मगर अगर बात मुझपे आ जाएं तो वह सब कुछ कर देती थी। मैं ठेरा 10वीं क्लास का साधारण सा छात्र और वो ठहरि क्लास कि टॉपर । हमारी कॉम्बिनेशन से सारे दीवाने जैसे जल जाते थे।
बात उस दिन की है जिस दिन हम ट्यूशन से थोड़ा लेट से आ रहे थे।उस दिन मैं अपने दोस्तों के साथ रास्ते में आते वक्त एक दोस्त ने मुझे बोला कि लतिका जैसी एक सुंदर सी लड़की जो किसी को भाव नहीं देती वह तुझे क्यों भाव देती है पता हे ? लेकिन यह बात याद रखना वह तुझे भाव जरूर देती है लेकिन वह तुझसे कभी पटेगी नहीं।मैं ठहरा प्रेम का दीवाना और जीत से भरा लड़का,मैंने भी उनको बोला कि आज तुम लोग देखना लतिका मुझे अपने साथ लेकर जाएगि और तुम लोग यहां पर देखते रह जाओगे।सर्त मंजूर हुआ और हम हमारे बहाने के साथ तैयार हो गए। मगर प्लान किया था यह आप लोग नहीं पूछोगे क्या?
.....……………… प्लान जानने के लिए भाग-२ का इन्तजार करे………………....................................