एक रिश्ता अनोखा
एक रिश्ता अनोखा
रिश्तों की परिभाषा अनेक हैं
ये प्रसंग है सबसे अनोखा
कहीं वफ़ा की बरसात होती है
तो कहीं मिलता है धोखा।
कुछ शक्श होते है
जिनसे कोई रिश्ता न होता है
फिर भी निभा जाते हैं रिश्ते
लगता है कुछ तो नाता है।
ऐसे ही कुछ अनोखे रिश्तों में
दोस्ती सबसे ख़ास है
बनते-बनते बन जाता है
उसकी यादें हमेशा दिल के पास है।
अनजानों से भी रिश्ता जुड़ जाता है
ये दोस्ती से पता चला
बँट जाते है आधे आंसूं उनके
जिनको एक अच्छा और सच्चा दोस्त है मिला।
दोस्ती से परे कुछ ख़ास सा
एक और रिश्ता भी होता है
कोई नाम नही है उसका
बेनाम सा जाना जाता है।
उस रिश्ते की सीमा मानो
पहले से किसीने काटी है
उस रिश्ते में लोगों ने
न जाने कितने खूबसूरत लम्हें बांटी है।
जहां आंसुओं को किसीने
हसी में बदल दिया
ग़मों को मानो
खुशियों में बदल दिया।
अनोखे रूप में आते हैं वो फरिश्ते
जो निभा जाते है कुछ 'अनकहे से रिश्ते'।
