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Nirupama Naik

Others

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Nirupama Naik

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हिडेन टीयर्स

हिडेन टीयर्स

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सुनलें जितना भी बुरा भला

उसे जाने देने का दिखावा करते हैं

लड़के हैं, कमज़ोर न पड़ जाएं

इसीलिए दर्द को सामने लाने से डरते हैं।


स्कूल, कॉलेज हो या दफ्तर

या फिर घर में भी हो सकता है

परिस्थितियां मुश्किल उनके लिए भी हो जाती हैं

पर ये हमें कहाँ दिखता है?


उनका भी शोषण होता है

शारीरिक भी, मानसिक भी

उन्हें भी तकलीफ होती है

पूर्ण भी, आंशिक भी।


तनहाइयाँ उन्हें भी काटती हैं

रुसवाईयाँ दिल में चोट दे जाते हैं

फिर भी वो आँखें नम नहीं करते

आँसूं आने से पहले ही लौट जाते हैं।


अपनी तकलीफें वो बयाँ करदें

तो हम टूट जाते हैं

इसीलिए चुप रहते हैं वो

उससे भी हम रुठ जाते हैं।


वो अकेले कमज़ोर हैं

और ये बिलकुल सच है

हमारा साथ ज़रूरी है

हम एक दूसरे के कवच हैं।


खुल के रो नहीं सकते

दिल को पत्थर बना लेते हैं

अपनी बात कह नहीं सकते

बस ख़ुद ही ख़ुद को मना लेते हैं।


उनको भी तकलीफ जताने के हक़ है क्योंकि,

उनके दिल पत्थर के और आँखें लोहे के होते नहीं

मगर बचपन से सबने सिखाया है-

के लड़के कभी रोते नहीं!!!


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