वचन प्यार का
वचन प्यार का
ज़रूरी नहीं कि चुटकी भर सिंदूर
माथे सजे मेरे
मन से माना है अपना तो
हुए तुम मेरे।
मैं भी तुम्हारी बनी
जब से साथ चलने का वादा किया
एक दूसरे की खुशियों को
पूरा करने का इरादा किया।
कभी-कभी कुछ रिश्ते
अधूरे से रह जाते हैं
नाम नहीं मिलता उन्हें
बेनाम सा रह जाते हैं।
दिल गुमनाम नहीं होता
न गुम होती हैं जज़्बात
दूर रहकर भी निभाये जाते हैं
प्यार की यह सौगात।
प्यार का उजाला काफ़ी है
चीरने हर बंदिशों के अँधेरे...
न किसी वचन से घिरे, न रिवाजों से
उन्मुक्त है प्यार का आसमां
न रोक पायेगा यह जहां
के ख़ुद से किया है वादा
अब बिन फेरे हम हुए तेरे!