प्यार की गाथा
प्यार की गाथा
सोचा था हृदय मेरा टटोलोगे मन की भाषा सुन तुम कुछ तो बोलोगे,
नहीं सोचा था कभी तुम इस तरह मुझे मझधार में यूँ अकेला छोड़ोगे,
मत पूछो मेरी पीड़ाएं खुशी भी जाने कितनी दूर है मेरी ही मुझसे,
अपनी सुध भी तो ना रही हमें भूल गए वो बात जो कहनी थी उनसे,
अब जाने कहाँ से तिमिर घिर आया और घोर अंधेरा छाया मन में,
तुम संग बीते मधु मिलन के वो मीठे-मीठे पल अब ना रहे जीवन में,
सच कहा है प्यार की हर एक गाथा भरी है पीर के इतिहास से,
विश्वास का दामन छोड़कर मेरा प्रेम ले रहा है विदा मधुमास से I