ख़्यालों मे....
ख़्यालों मे....
तेरे ख़्यालों में उलझे हैं कई सवाल
हसरतें नादानियों में करती हैं बवाल
बेख़्याली के आलम में तेरे ख़्यालों का कमाल
बहकने ना दे मुझे ऐसे हर पल रहें संभाल
कैसे बयाॅं करूँ तुम्हें दर्द-ए-दिल का हाल?
तड़पते एहसासों को निगल रहा हैं काल
बेशुमार जज़्बातों का फैला हैं माया जाल
दिल में उठते अरमानों का हुआ हैं बुरा हाल
तेरे ख़्यालों में कैसे बीतेंगे दिन-महीने -साल?
मन का पंछी उड़ता जाये हो के बेख़याल