गजल
गजल
पर्दा तुम्हारे रुख से यूँ हटाना पड़ा मुझे,
अपने दिल का किस्सा सुनाना पड़ा मुझे,
खामोश है दिल भरी महफिल में तुम्हें देख,
अपना वो हाल-ए-दिल बताना पड़ा मुझे,
जब हमने कुछ कहा उनकी आंखें झुक गईं ,
उनकी झुकी हुई आंखों में उतरना है मुझे,
होते होते यूं ही इजहार ए तमन्ना हो गया,
इश्क़ का इजहार कर प्यार जताना है मुझे,
दिल ने आंखों से और आंखों ने उनसे कहा,
अभी तस्वीरों में थे अब दिल में उतरना है मुझे।