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सोनी गुप्ता

Romance

4.5  

सोनी गुप्ता

Romance

गजल

गजल

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385


पर्दा तुम्हारे रुख से यूँ हटाना पड़ा मुझे, 

अपने दिल का किस्सा सुनाना पड़ा मुझे, 


खामोश है दिल भरी महफिल में तुम्हें देख, 

अपना वो हाल-ए-दिल बताना पड़ा मुझे, 


जब हमने कुछ कहा उनकी आंखें झुक गईं , 

उनकी झुकी हुई आंखों में उतरना है मुझे, 


होते होते यूं ही इजहार ए तमन्ना हो गया, 

इश्क़ का इजहार कर प्यार जताना है मुझे, 


दिल ने आंखों से और आंखों ने उनसे कहा, 

अभी तस्वीरों में थे अब दिल में उतरना है मुझे।


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