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Kalyani Das

Romance

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Kalyani Das

Romance

तुम्हारा प्रेम

तुम्हारा प्रेम

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दिन महीने साल गुजर जाते हैं,

जीवन के सफर में लोग मिलतेे हैं,

दो कदम संग चलकर बिछड़ जाते हैं

गर कुछ नहीं गुजरा तो

वो तुम और तुम्हारी मधुर 

स्मृतियां,


तुम आज भी बसे हो मुझमेें,

जैसे बसता है खुुश्बू फूलों में,

नहीं गुजरा वो पल

जब ईश्वर ने दिया था 

प्रेम का सौगात मुझे।


नहीं गुजरता वो क्षण

जिस पल तुम्हारा प्रेम अंकुरित हुआ था 

मेरे हृदय के धरातल पर, 

देखो न,

इस अंंकुुरण को अपने

अश्रुकणों से,बड़े ही प्यार और 

ममता से सींच कर वृक्ष बना दिया मैंने, 


अब मैं रहूं न रहूं

ये प्रेम से सिंचित-पुष्पित वृक्ष

सदा-सदा के लिए हरा -भरा रहेगा,

इस अंतरिक्ष में

सुगंधित पुष्पित फलित होता रहेगा 

ये हमेशा।


तुम और तुम्हारा प्रेम हमेशा

शब्द रूपी माला में बिंधकर

अंकित रहेंगे

मेरी कविताओं में।


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