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Kalyani Das

Others

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Kalyani Das

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अनकहा सा प्रेम

अनकहा सा प्रेम

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बरस रहा जो अंखियों से, 

वो दर्द है .......

जो ठहर गया अंखियों की कोरों पर,

वो याद तुम्हारी .......

बन कर धड़कन जो धड़क रहा,

वो तुम हो........ 

रग-रग में बन कर लहू बह रहा, 

प्रेम तुम्हारा.........

हे प्रभु......

कितना मोहक, कितना सुंदर, 

अनदेखा .......अनकहा सा

सूरत तुम्हारी ......



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