अनकहा सा प्रेम
अनकहा सा प्रेम
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बरस रहा जो अंखियों से,
वो दर्द है .......
जो ठहर गया अंखियों की कोरों पर,
वो याद तुम्हारी .......
बन कर धड़कन जो धड़क रहा,
वो तुम हो........
रग-रग में बन कर लहू बह रहा,
प्रेम तुम्हारा.........
हे प्रभु......
कितना मोहक, कितना सुंदर,
अनदेखा .......अनकहा सा
सूरत तुम्हारी ......
