अनकहा सा प्रेम
अनकहा सा प्रेम
1 min
284
बरस रहा जो अंखियों से,
वो दर्द है .......
जो ठहर गया अंखियों की कोरों पर,
वो याद तुम्हारी .......
बन कर धड़कन जो धड़क रहा,
वो तुम हो........
रग-रग में बन कर लहू बह रहा,
प्रेम तुम्हारा.........
हे प्रभु......
कितना मोहक, कितना सुंदर,
अनदेखा .......अनकहा सा
सूरत तुम्हारी ......