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Kalyani Das

Inspirational

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Kalyani Das

Inspirational

मौन

मौन

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शब्दों से व्यथित होकर, 

मन जब क्लांत हुआ ।

जब भी क्रोधाग्नि आहत करती, 

पाता है मन तब मौन से ही विश्रांंति .....


न जाने कई दर्द समेटे 

आंसूओं का सागर थामे...

तिरस्कार का दामन पकड़े .....

खड़ा रहता है मौन, 

इसके अंदर कितने बवंडर 

भला ये समझे कौन? 


हर दिन धरा पर जीवन ज्योति जलाने, 

सूूर्य कितना तपता है.......

मौन होकर रात्रि मिलन को,

दिवा कितना जलता है .....

हैैैैै समझ से परे ये,

येे तो सिर्फ जाने मौन।

हर तरफ शब्दों का शोर है 

शब्दों के भरमाते बाजार में

मौन का खरीददार कौन है? 


पर.....

मौन एक सााधना भी.......

इक ऊर्जा भी ....

संगीत भी ......

जीने की शक्ति औ प्रभु की भक्ति भी।

जब भी तलाश हो स्वंय में स्वंय की,

मौन हो जाइए......

जीवन मेंं सही दिशा पाइए।

यदि पानी हो परमपिता की असीम कृपा, 

मौन ही है वहां तक जाने का रास्ता ।

पत्थर दिल को भी पिघलाये

दिलों मेें प्रेेेम के कमल खिलाये......

वो सिर्फ मौन है 

मौन है 

मौन है ।



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