शिवम कहने को रिश्ते न कोई अब प्यार रहे। शिवम कहने को रिश्ते न कोई अब प्यार रहे।
सहेज कर रखती हूँ जिदंगी की किताब के लम्हे, कलम से टंकित करती हूँ। सहेज कर रखती हूँ जिदंगी की किताब के लम्हे, कलम से टंकित करती हूँ।
शब्द रूपी माला में बिंधकर अंकित रहेंगे मेरी कविताओं में। शब्द रूपी माला में बिंधकर अंकित रहेंगे मेरी कविताओं में।
पर गगन औ ज़मीं उसको अनदेखा करती मालिक नहीं आख़िर मजदूर होता हैं वो। पर गगन औ ज़मीं उसको अनदेखा करती मालिक नहीं आख़िर मजदूर होता हैं वो।
पुरखों के अनुभवों की जो लोग करते हैं तिरस्कार पुरखों के अनुभवों की जो लोग करते हैं तिरस्कार
मुझको भी होने लगा था अब हल्का-हल्का सा प्यार। पर करती रही मैं अनदेखा, उस मूक प्रणय को। मुझको भी होने लगा था अब हल्का-हल्का सा प्यार। पर करती रही मैं अनदेखा, उस मूक प...