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Shivanand Chaubey

Drama

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Shivanand Chaubey

Drama

लोक व्यवहार

लोक व्यवहार

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लोक व्यवहार ही रिश्ते का आधार है

जिससे जुड़ा यहां रिश्तो में प्यार है,

अपनी परंपरा है सभ्यता हैं संस्कृति

लोक व्यवहार में अपनी हैं लोक रीति।


नेग का रिवाज भी प्रेम का प्रकार है

मौके दर मौके पर मिलता उपहार है,

नेग एक हक भी है रिश्तो की मिठास में

भिन्न-भिन्न रीति और विविध रिवाज हैं।


हम भी तो बचपन में नेग मांगा करते थे

मेलो त्योहारों पर न पाने पर रोते थे,

अब तो यह सारी बस यादों में अंकित हैं

 अब रिश्तों के मायने बस स्वार्थों में चित्रित है।

अब तो न रीति न लोक व्यवहार रहे


संस्कृति व सभ्यता न कोई संस्कार रहे,

अब अपने पराए का भेद बस स्वार्थ है

शिवम कहने को रिश्ते न कोई अब प्यार रहे।


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