प्रकृति
प्रकृति
प्रकृति से है वसुधा सुशोभित
प्रकृति इस धरा का श्रृंगार हैं
प्रकृति से जीवों की है कल्पना
प्रकृति जीवन का आधार है।
हैं यहीं अस्तित्व में अपने समेटे
जीव का अस्तित्व इससे हैं जुड़ा
बिन प्रकृति जीवन नहीं है यहां
प्रकृति इस धरा का श्रृंगार हैं।
हैं प्रकृति जब तक तभी तक
जीवन का हैं अस्तित्व अपना
नष्ट हो जायेगा बिन प्रकृति के
प्रकृति अस्तित्व का आधार है।
प्रकृति का प्रेम मां के जैसा है
जो इस धरा को वात्सल्य देती ,
स्नेह का स्वभाव दर्शाती सदा
प्रकृति मां की ममता सी भाव हैं।