STORYMIRROR

Shivanand Chaubey

Abstract

3.5  

Shivanand Chaubey

Abstract

समाज माँ

समाज माँ

1 min
319


मां समाज में ईश्वर की

अनुपम सौगात है

मां ही वेद है मां पुराण है

मां के पैरों में जन्नत है ।


मां ममता करुणा की मूरत

मां वात्सल्य की देवी है,

मां त्याग की परिभाषा है

मां सारे दुख सह लेती है।


मां की महिमा वेद कहे

और पुराण उसके गुण गाएं,

श्लोक आयते और ऋचाएं

मां में सारे तीर्थ समाए।


मां गंगा सी पावन धारा

सर्वस्व न्यौछावर करती है

सहे दुरह दुःख बच्चो के लिए

मां त्याग सुखो का करती है।।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract