समाज माँ
समाज माँ
मां समाज में ईश्वर की
अनुपम सौगात है
मां ही वेद है मां पुराण है
मां के पैरों में जन्नत है ।
मां ममता करुणा की मूरत
मां वात्सल्य की देवी है,
मां त्याग की परिभाषा है
मां सारे दुख सह लेती है।
मां की महिमा वेद कहे
और पुराण उसके गुण गाएं,
श्लोक आयते और ऋचाएं
मां में सारे तीर्थ समाए।
मां गंगा सी पावन धारा
सर्वस्व न्यौछावर करती है
सहे दुरह दुःख बच्चो के लिए
मां त्याग सुखो का करती है।।