पत्नी
पत्नी
पत्नी जो नेह के डोर में
बंधकर चली आती हैं,
पत्नी जो अपना घर छोड़
दूसरे के घर को महकाती हैं।
पत्नी नये अंजान घर में भी
अपने रिश्ते को बना लेती हैं,
पति की आस विश्वास बनकर
उसके घर को अपना लेती हैं,
पत्नी सामर्थ्य की परिभाषा है
पत्नी पति की जीवन संगिनी हैं,
पति सुर हैं तो पत्नी साज होती है
पति राग हैं तो पत्नी रागिनी हैं।
पत्नी पति के सुख दु:ख की साथी हैं
पत्नी त्याग बलिदान की निशानी है,
पत्नी पति घर को स्वर्ग बना देती हैं
पत्नी प्रेम और वात्सल्य की कहानी है।