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Shivanand Chaubey

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3.4  

Shivanand Chaubey

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मां

मां

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मां वह परम पावन पुण्य शब्द है

समाहित अखिल संसार जिसमें,

वेद पुराण भी गुण गाएँ जिसकी

ममता, वात्सल्य है प्यार जिसमें।


मां श्लोक ,सूक्त वेदों की ऋचाएं

बहते नदियों की कल कल सी है ,

मां सती अनुसुइया का सतीत्व है

गंगा की पावन अमृत जल सी है।


मां राजा शिवी का त्याग व न्याय है

दधीचि का बलिदान व उपकार है,

गार्गी अपाला विद्वतमा की ज्ञान है

स्नेह दया करुणा की मूरत प्यार है।


मां वसुधैव कुटुंबकम् का स्वभाव है

मां सत्य, सनातन, शाश्वत अनंत है,

मां धन सम्पदा शक्ति ज्ञान कि देवी है

मां सत्यम शिवम् सुंदरम भगवंत हैं।


मां निर्मल चंद्रमा सी यश व सुयश है

मां शक्ति साहस सामर्थ्य का संचार है,

मां जिसके पांव में स्वर्ग का पर्याय है

नमन शिवम् मां के चरणों में बारम्बार है ।।


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