एक बार खुद ही सोचो एक बार खुद ही सोचो
प्राणों को करेगी तृप्त सुधा देवों का मठ बन जाऊंगा। प्राणों को करेगी तृप्त सुधा देवों का मठ बन जाऊंगा।
शब्दों की अपनी गरिमा है, भावों की अनुपम महिमा है। मृदु मंत्रों के पुष्पहार से, अनघ हृद... शब्दों की अपनी गरिमा है, भावों की अनुपम महिमा है। मृदु मंत्रों के पुष्...
क्या इन्हीं चंद लम्हों को कहते हैं जीवन ? क्या इन्हीं चंद लम्हों को कहते हैं जीवन ?
नीलम नीलवर्ण से बादल, प्रेयसी के हलकारे बादल। नीलम नीलवर्ण से बादल, प्रेयसी के हलकारे बादल।
क्यों लड़ना तब धर्म की ख़ातिर, सबका जब पैग़ाम एक है, एक है अम्बर धरा एक है, वसुधा पर जल भरा... क्यों लड़ना तब धर्म की ख़ातिर, सबका जब पैग़ाम एक है, एक है अम्बर धरा एक है...