पैगाम एक है
पैगाम एक है
एक है अम्बर धरा एक है,
वसुधा पर जल भरा एक है,
एक साँझ है एक सवेरा,
एक क्षितिज ने ही जग घेरा,
नभ पर कई सहस्त्रों तारे,
मगर मिली हो ज्योत एक है,
जल के रूप कई धरती पर,
सागर में पर बूंद एक है,
बंटी है सरगम सात सुरों में,
मगर मिली जो राग एक है,
सुलग रही हैं अलग अलग पर,
हर लकड़ी में आग एक है,
मत भी कई मतांतर भी हैं,
सभी मतों का सार एक है,
मार्ग अलग हों तेरे मेरे,
मंज़िल का आधार एक है,
हैं चमन में पुष्प कई पर,
घुली पवन में महक एक है,
हर पक्षी की भिन्न हैं बोली,
वादी में पर चहक एक है,
एक ही सृष्टि एक नियंता,
परमपिता का धाम एक है,
नाम अलग ले लो तुम जो भी,
उस शक्ति का काम एक है,
ईश एक हैं गुरु एक हैं,
ईसा, अल्लाह, राम एक हैं,
क्यों लड़ना तब धर्म की ख़ातिर,
सबका जब पैग़ाम एक है,
एक है अम्बर धरा एक है,
वसुधा पर जल भरा एक है।
