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Dr.rajmati Surana

Drama

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Dr.rajmati Surana

Drama

एक पत्र

एक पत्र

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मैंने कुछ बातें दिल की माँ, न जाने क्यों बताना चाहती हूँ,

दिल बहुत उदास है रहता, अपने अहसास बताना चाहती हूँ।


माँ बाबा तेरी लाडो को तुम ने, बड़े ना जो से पाला था,

सपनों के सौदागर संग मूझे, गठ बंधन में बाँधा तुम ने बाँधा था।


खुश थी माँ मै बहुत पिया के ऑगन में, पिया ने अपने रंगों सेमुझे सजाया था,

माँ विवाह किसकी नजर लगी बुरी ,अपनों ने मुझे बहुत रूलाया था।


माँ विवाह के बाद रिश्ते नाते ऐसे होते हैं, मैंने कभी सोचा न था,

ईर्ष्या द्वेष की आग से में झुलसी ऐसे, कल्पना में भी नहीं मैंने सोचा न था ।


माँ दिल के अहसासों को मैं हर लम्हा, पन्नों पर उकेरती हूँ मैं,

दिल की बातों को पल पल की बातों को, कागज के खत में लिखती हूँ मैं ।


दिल करता है हैं माँ गोद में आ तेरे, अपने अहसासोंको तुम को बतलाऊं,

कितने पत्र मैंने लिखें है तुम को, आकर मैं तुम को बतलाऊं ।


माँ चाहती हूँ तुझे कीमत सारे खत भेजू, पर हिम्मत नहीं होती,

बहुत रूलाता है यह अनजान सफर, कहने की हिम्मत नहीं होती ।


हर लम्हा हर पल को मन की वेदना को, कागज के खत में लिखती हूँ मैं,

कभी नीली कभी काली स्याही से ,ऑंसूओ से भिगोते हुए लिखतीं हूँ मैं ।


माँ बस इतना ही कह अपने विचार पर,अब विराम की रेखा अंकित करती हूँ,

सहेज कर रखती हूँ जिदंगी की किताब के लम्हे, कलम से टंकित करती हूँ।


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