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Dr.rajmati Surana

Tragedy

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Dr.rajmati Surana

Tragedy

सड़क

सड़क

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मैं सड़क आज कितनी तन्हा हो गई हूँ

ना कदमों की आहट तो व्यथित हो गई हूँ।


दर्द से कांप उठती थी पहले आहट से मैं,

पदचिन्हों वाहनों की आवाज़ अब भूल गईं हूँ।


बहुत गुरूर था यारों मुझे सड़क होने पर,

ख़ुदा ये कैसी छाई वीरानी परेशान हो गई हूँ।


दुनियाँ की गन्दगी से मेरा दामन कभी बेदाग हुआ,

सब बेसफर हो गये जिंदगी के रंगों को भूल गई हूँ।


आज इस दुनियाँ की बीमारी से हर शख्स टूट गया,

सबके कदमों की आहट को सुनने के लिए

व्याकुल हो गई हूँ ।


सैकड़ों वाहनों की आवाज़ और उत्सवों की ख़ुशियाँ,

अब तो हालात ऐसे की खुद में ही सिमटने लग गई हूँ।



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