जीवन का सफ़र
जीवन का सफ़र
जीवन के इस सफ़र में कुछ रिश्ते बनते चले गए,
कुछ रिश्ते अनजाने से जीवन में महत्त्वपूर्ण हो गए,
दुखों को दूर कर न जाने कब हमसफर बन गया,
सभी ग़मों को भूलकर खुशियों के फूल खिल गया,
उनसे मिले तो जीवन ख्वाबों का गुलदस्ता हो गया,
अब तो वो अनजान- सा रिश्ता कुछ अपना हो गया,
पवन शीतल शोख चंचल और दिल में हलचल हो गई,
हमसफर बनकर लगता हर कमी जैसे पूरी हो गई,
मुझे याद है वो लम्हें जब तुम मेरे हमसफ़र बन गए,
साथ निभाया हर कदम में मेरा तुम मेरा सफ़र बन गए I

