लेखनी
लेखनी
बहुत चाहा तुझे सोचना छोड़ दूँ,
तेरी याद छोड़ दूं तेरी बातें छोड़ दूँ
मगर तू ऐसा भुलावा है जो मेरे दिल में समाया है
जो रातों को जगाता हैं
कभी याद बन मेरे संग मुस्कुराता है
कभी कविता मैं रचता है,
कभी कहानियों में बसता है
तेरे साथ चलने से तो मेरा जीवन सँवरता है
रहता है मेरा दिल हर वक्त उदास
क्योंकि आजकल
तुझ से बात नहीं कर पाता हूँ।

