असंभव जैसा कुछ नहीं
असंभव जैसा कुछ नहीं
सभी के जीवन में कुछ कार्य ऐसे होते हैं
जब लगता है कि इसे करना असंभव है
लेकिन वही दूसरा व्यक्ति आकर
उस कार्य को संभव कर देता है
तो हमें लगता है कि वह लकी है !
जिस मेहनत की आवश्यकता थी
हमने कभी वह की ही नहीं!
असंभव तो कुछ था ही नहीं
हम उसे मान बैठे कि वह असंभव है
हमने असंभव मान लिया----।
हमने प्रयास नहीं किया -----।
हमने हिम्मत छोड़ दी -----।
यह असंभव शब्द जिसे हम
अपने मन मस्तिष्क से निकाल दें
तो यह शब्द हम को आगे बढ़ने से नहीं रोक सकता है।
