गज़ल
गज़ल
कितना सुहाना मौसम है,
दुनिया बनाने वाला गजल गा रहा हो जैसे-
गजल?
ये गजल क्या होता है?
गजल नहीं जानता,
चल, मेरे साथ चल
और महसूस कर गजल,
चल...
धीमी धीमी बारिशों का मौसम,
ठंडी ठंडी हवा,
धीरे से तेरे बालों को सहलाये,
आसमां में हो, खास सा नजारा
जहां नजर ठहर जाये,
चल, मेरे साथ चल,
और महसूस कर गजल,
भीगी-भीगी सी जानेमन का साथ हो,
उसके हाथ में तेरा हाथ हो,
कंपकंपी सी तन बदन में, आंखों -आंखों में बात हो
और जी मचल जाये,
बातों -बातों में ही उसके होंठ तेरे होंठों पर आ जाये
चल……खो गया क्या
मेरे साथ चल, चल
और महसूस कर गज़ल
आंखों में हों सपने,
जिनमें में झूमते हो - तेरे अपने,
थोड़ा सा गिरकर, फिर संभल जाये,
आंखों में खुशी का आँसू झलक जाये,
आए, बार बार, तेरी जिंदगी में-पल ये आ के ठहर जाये
चल, मेरे साथ चल
महसूस कर गज़ल
सीने में चिंगारी,
सवालों से तेरा जेहन भर जाये,
बदलाव को तू मचले,
बेबसी सी, लाचारी या कहूँ
अजब सी हालत हो जाये
चल, मेरे साथ चल
महसूस कर गज़ल
ये शब्दों से परे है,
धड़कनों का शोर
सुन सके तो सुन
ये जिंदगी की डोर
गा, तू मेरे साथ गा,
जिंदगी है गज़ल
महसूस कर गज़ल,
बन जा खुद गज़ल।
चल, मेरे साथ चल
महसूस कर गज़ल