गर्मी
गर्मी
गर्मी
तुम्हारे जिंदा होने की पहचान,
गर्मी होती है कई चीजों की शान,
हुस्न की गर्मी
प्यार की गर्मी
दोस्ती की गर्मी
रिश्तो की गर्मी
बेवजह की गर्मी
झूठे ego की गर्मी,
लालच की गर्मी,
फरेब की गर्मी,
गर्मी की गर्मी,
पर क्या सच में होती भी है -कोई गर्मी
गर्मी का होना – एक वहम तो नहीं,
कुछ जो होना है-उसको होने की कमी तो नहीं,
मैंने अक्सर सर्द रातों में, सर्द मौसम में भी,
पिघलते पाया है-
जज़्बातों को,
मानव के हालातों को,
सच को,
और उसको
जिसमें तुम गर्माहट को सोच पाते हो,
गर्मी का होना,
ऐसे ही है,
जैसे मेरा मैं होना,
तुम्हारा तुम होना,
मेरे मुझमें शामिल है, तुम्हारा होना,
तुम्हारे होने में है – मेरा होना,
मैं और तुम की जो जद्दोजहद है,
मैं होने से तुम और तुम होने से मैं,
क्या अभी भी कोई उलझन है,
गर्मी है, और जब तक है,
ये मैं और तुम के बीच आती रहेगी,
गर्मी जाएगी,
तो मैं और तुम – दोनों को साथ ले जाएगी,
अब फैसला करना है,
मुझे, तुम्हें और गर्मी
इन्हे जिंदा रखना है,
या एक होने में जो होना है
जो सब मिथ्या से परे
जीवन के सच का अजीब सा कोना है,
उस एक होने में,
मैं, तुम और गर्मी
के मायने का होना है,
मतलब
गर्मी का होना
तुम्हारा जिंदा होना है।।