लक्ष्य
लक्ष्य
एक ही सपना सँजोया है,
कुछ खास करना है, कुछ बड़ा करना है,
महान बनना है
पर खास है क्या?
बड़े के क्या हैं मायने?
महान होना – होता क्या है?
मम्मी-पापा ने बतलाया नहीं, गुरु जी ने समझाया नहीं,
खुद जो आगे बढ़े,
उलझने बेशुमार थीं,
कभी पैसा बड़ा लगने लगा, कभी ओहदा
कभी धर्म के लिए जीना, कभी देश के लिए मरना,
पर बड़ा होना, अच्छा होना, महान होना क्या है?
मम्मी -पापा ने बतलाया नहीं, गुरु जी ने समझाया नहीं।
जैसे -जैसे समझ बढ़ रह है,
उलझने भी बेहिसाब बढ़ रही हैं,
पैसा – ओहदा, समता पूर्ण समाज, तर्क शील इंसान
द्वंद बढ़ रहा है
कभी बुद्धि मन को , कभी मन बुद्धि को छल रहा है
पर बड़ा होना, म
हान होना, अच्छा होना क्या है?
मम्मी -पापा ने बतलाया नहीं, गुरु जी ने समझाया नहीं।
आजकल एडुकेशन में काम कर रहा हूँ
खुद अच्छा होने, महान होने, बड़ा होने को गढ़ रहा हूँ,
खुद को जानने-समझने के सफर पर हूँ,
कसमें -रस्में , जो -जो जाला सी लगती हैं,
उन्हे हटा लेता हूँ,
जालों से निकल रहा हूँ या नए जालें बुन रहा हूँ।
नदी की तरह बह रहा हूँ, सूरज सा जल रहा हूँ,
आगे बढ़ रहा हूँ,
पर बड़ा होना, अच्छा होना, महान होना –
अभी भी समझ नहीं आया है।
पर अब ,
मम्मी -पापा से पूछना नहीं, गुरु जी से समझना नहीं,
अपना सपना संजोना,
उसी को जीना,
अच्छा होना, बड़ा होना, महान होना,
खुद के लिए, ना कि सब के लिए।