STORYMIRROR

Habib Manzer

Abstract Inspirational

3  

Habib Manzer

Abstract Inspirational

पहचान वतन से है मेरी

पहचान वतन से है मेरी

1 min
13.9K


पहचान पुरानी अपनी है

अनमोल कहानी अपनी है

रस्में दुनिया में कितनी है

पहले अपनी बतलानी है।


हर एक कहानी के भीतर

तहज़ीब हज़ारों सालों की

संदेश अमन मतवालों का

दुनिया को अब सिखलाना है।


पहचान वतन से है मेरी

इमान वतन भी है मेरा

नादान परिंदा कहता है

दिल अब तक हिन्दुस्तानी है।


जब अक्ल की बातें होती हैं

हैरान सितमगर होता है

हर ओर सियासत बढ़ जाए

समझो हुकुमत शैतानी है।


हाकिम किसको कहते हो तुम

रहबर कैसा चुनते हो तुम

मज़हब जब मुल्क में बढ़ जाये

मेरे अक्ल को बस हैरानी है।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract