चाह कर भी तुझे भूल पाऊं नही।
चाह कर भी तुझे भूल पाऊं नही।
चाह कर भी तुझे भूल पाऊं नहीं
दिल किसी से भी अब मैं लगाऊं नहीं
गम का सौदा किया दिल तुझे मैं दिया
अब किसी को भी दिल में बिठाऊं नहीं
ज़िंदगी की जरूरत तुम्ही कल मेरी
अब मैं साथी सफर में बनाऊं नहीं
कल तेरे लब का प्यासा मेरा लब रहा
अब मैं चाहत किसी को दिखाऊं नहीं
बाहें रहती थी सुनी तुम्हारे बिना
अब किसी गोद में सर छुपाऊं नहीं
दिल सहम जाता था मेरा तन्हाई से
जख्म दिल का किसी को दिखाऊं नहीं
कौन होता था दिल के भी मेरे करीब
अब मैं अफसाना दिल भी सुनाऊं नहीं
उम्र भर भूल जाऊं क्या तरकीब है
क्यों तुझे मैं भी पल भर भुलाऊं नहीं
जी भी सकता हूं कुछ दिन उम्मीदों पे मैं
ज़िंदगी तन्हा तुम बिन बिताऊं नहीं
जब भी आए तेरी याद मुझको यहां
मैं खुशी से कभी भी जी पाऊं नहीं
दिल की आदत मेरी तुमको सुनता रहूं
मैं किसी बात पर मुस्कराऊँ नहीं
जब भी आओगे तुम भी मेरे ख्वाब में
रात भर मैं यकीनन सो भी पाऊं नहीं
मेरी खुशियों के साथी ना तुम बिन कोई
साथी गम मैं किसी को बनाऊं नहीं