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Habib Manzer

Romance

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Habib Manzer

Romance

अभी भी हमारी हालत वही है

अभी भी हमारी हालत वही है

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अभी भी हमारी हालत वही है

निगाहों मे अब भी सूरत वही है

किसी को मै देखूं तमन्ना नहीं अब

झपकते पलों की चाहत तू ही है

क़दम लड़खड़ाता कभी भी नहीं अब

मेरी मंजिलों का मंज़र तू ही है

तुझे देखने की हसरत लगी अब

मोहब्बत का उंवान अभी भी तू ही है

मुझे तुम भुला भी चुके हो ये सच है

मेरी याद मे अब भी क़ाबिज़ तू ही है

मैं नफ़रत भी तुमसे करूं आज कैसे

मोहब्बत सिखाया मुझे भी तू ही है

वो पल याद करके सफर मे निकलना

डगर मे सफर अब कमी भी तू ही है

मैं डरता हूं तुमसे नजर मिल ना जाए

बिछड़ने का गम कल अभी भी तू ही है।


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