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ASTRO Vivekdutta

Romance

4  

ASTRO Vivekdutta

Romance

फिर तुम आ जाओ ना

फिर तुम आ जाओ ना

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340

जाने क्या बात हुई

जाने क्यों एक दिन 

तुम अचानक चले गये

मैं ने तो कभी कल्पना भी नही‌ की थी

कि ‌कभी‌ कोई दिन ऐसा भी होगा

जब तुम केवल स्मृतियों मात्र तक

सिमट जाओगे।

फिर से‌ तुम्हारी एक आवाज के लिये

कान तरसते है।

आंखे तुम्हारी बस एक‌ झलक को तरसती है।

क्यो चले गये इतनी दूर

आ जाओ ना

फिर से एक बार।

फिर तुम आ जाओ ना एक बार।


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