हाय दइया ,कैसा बौराया यौवन
हाय दइया ,कैसा बौराया यौवन
बासंती रंग हुआ प्रीत के संग ;
फाग के स्पर्श से खिल उठा अंग !
शीतल पुरवाई बहे मस्त मलंग ;
उड़ाए पीली चुनर गोरी हो जाए तंग !
प्रेमसिक्त हृदय में आ बसे साजन ;
समग्र भाव हृदय के हो गए पावन !
खिल गए फूल गुलाब से बागान ;
सुवासित हुआ उर लखे मनभावन !
देख प्रिय की छवि मनमोहक ;
प्रिया के अधर लगे प्रेमगीत गावन !
रत्नार पलकें लाज से गई झुक ;
फगुनाई ले आई संदेशा प्रिय आवन !
प्रियतम के बांहों का दृढ़ आलिंगन ;
गोरी का हर्षित पुलकित हुआ तन मन !
कोयल की कूक से चिहुँक उठा यौवन ;
हाय दइया ,देखो कैसा बौराया फागुन !

