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V. Aaradhyaa

Romance

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V. Aaradhyaa

Romance

हाय दइया ,कैसा बौराया यौवन

हाय दइया ,कैसा बौराया यौवन

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बासंती रंग हुआ प्रीत के संग ;

     फाग के स्पर्श से खिल उठा अंग !

शीतल पुरवाई बहे मस्त मलंग ;

   उड़ाए पीली चुनर गोरी हो जाए तंग !

      

प्रेमसिक्त हृदय में आ बसे साजन ;

    समग्र भाव हृदय के हो गए पावन !

खिल गए फूल गुलाब से बागान ;

     सुवासित हुआ उर लखे मनभावन !


देख प्रिय की छवि मनमोहक ;

    प्रिया के अधर लगे प्रेमगीत गावन !

रत्नार पलकें लाज से गई झुक ;  

   फगुनाई ले आई संदेशा प्रिय आवन !


प्रियतम के बांहों का दृढ़ आलिंगन ;

   गोरी का हर्षित पुलकित हुआ तन मन !

कोयल की कूक से चिहुँक उठा यौवन ;

   हाय दइया ,देखो कैसा बौराया फागुन !



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