हमारे हैं
हमारे हैं
बात बनते कहां हमारे हैं,
सोच में ही जनाब उलझे हैं।
रात जमते कहां हमारे हैं,
चाहतें अब जवां मचले हैं।
काश वे मित बने सदा दिल से,
छवि वही अरु दिलों स तड़पे हैं।
आज फिर से मुझे लगा नूतन,
छवि वही थी सुरम्य नजरे हैं।
नाज है उस दिलों वफ़ा पर अब,
होठ उसके सजी सु प्याले हैं।
प्यार मैं मधुर लूटता हूं प्रिय,
शौख सब ही मुकाम वाले हैं।
मन मजा से चले सदा देखो,
भूमि पर आकर्षक नजारे हैं।
तार दिल के बजे चले यूं ही,
नयन में रख हया कजरारे हैं।
हार बन जा गले लगा मुझ को,
रूप रंगी बला कि सुनहरे हैं।