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Sandip Kumar Singh

Others

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Sandip Kumar Singh

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दिवाली दिलवालों की

दिवाली दिलवालों की

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दिवाली दिलवालों की है,

आरजूओं वालों की है।

जिनके तमन्ना जवां हैं,

उनके दीप जलते ही रहते हैं।

सिर्फ़ कुछ दीए जलाने से नहीं,

बल्कि अपने इच्छाओं की दीए जलाएं।

अपने सोए ज़मीर को जगाएं,

अपने इरादे को सबल करें।

मंज़िल की ललक हो,

हासिल करने की हुनर हो।

दिवाली हो तो ऐसी धारणा का,

जिनसे खुशियों की बहार आएं।

ऐसा दीप जले की,

जीवन से गम नामक तम का नाश हो जाए।

ऐसे दीए जलाएं की,

घर _घर में खुशियां बरकरार रहे।

जीवन बहुत ही अनमोल है,

इसे दु:खों में बर्बाद करने का हक नहीं है।

जीवन में आनंदों के दीपक सदा जलता रहें,

खुशियों से हम_सब गले मिलते रहें।

जिंदगी में मुस्कानों की दीए सदा ही जले,

इस दिवाली यह प्रण अवश्य ही करना है।



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