मेरा जीवन सु:ख _दुःख के दो पहलूओं के बीच पिसता रहा। आंसूओं के सैलाबों को पार करते हुए मुस्कुराने की कोशिश करता रहता हूं। परिणाम स्वरूप रचना रचने की भावना जागृत हुआ। और रंग _बहुरंग रुप में नित नव सृजन करता रहता हूं। मैं पढ़ाई बिहार की राजधानी पटना से किया हूं। ठीक हूं , ज़िंदगी का मज़ा लेते हुए... Read more
मेरा जीवन सु:ख _दुःख के दो पहलूओं के बीच पिसता रहा। आंसूओं के सैलाबों को पार करते हुए मुस्कुराने की कोशिश करता रहता हूं। परिणाम स्वरूप रचना रचने की भावना जागृत हुआ। और रंग _बहुरंग रुप में नित नव सृजन करता रहता हूं। मैं पढ़ाई बिहार की राजधानी पटना से किया हूं। ठीक हूं , ज़िंदगी का मज़ा लेते हुए जिए जा रहा हूं। आशा की दामन थामे हुए साकारात्मक सोच को प्रखर करते हुए प्रगति की भावना से ओत _प्रोत हूं। यह दुनिया हसीन है, ज़िंदगी बेहतरीन है। ज़िंदगी को जिए जाना और भी बेहतरीन है। आनंदों के नौका पर बैठकर बहुरंगी संसार रूपी महासागर में तैरता हुआ मंजिल को पाना है।
संदीप कुमार सिंह ✍🏼 Read less