दोस्ती का रिश्ता
दोस्ती का रिश्ता
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चाहने लगा तुमको ,पर चाहना नहीं
कुछ कहने को है,पर कहना नहीं।
उमड़ रहे है जज़्बात तुम्हारे वास्ते,
जज़्बात ये उमड़ने, देना नहीं।
सामने ना हो तब भी दिखती हो,
यूं बिन देखे तुमको,देखना नहीं।
मन करता रोज़ तुम्हारे, घर के फेरे करने को,
लेकिन ऐसी कोई भी ,हरकत मुझको करना नहीं।
पागल है दिल,आ रहा है तुम पर
ये दिल तुम पर आने देना नहीं।
मुद्दत के बाद ऐसा महसूस हुआ
ऐसा कुछ महसूस होने देना नहीं।
बड़ा प्यारा है रिश्ता दोस्ती का ये
इसे मोहब्बत में पड़कर बिगाड़ना नहीं।