पाने की हसरत।
पाने की हसरत।
कभी-कभी सोचकर यह दिल है घबराता,
तुझको पाने की हसरत क्या पूरी होगी कभी,
बेचैन मन बन तुझको ढूंढता फिरूं तभी,
जीवन है क्षण भंगुर पल भर में ही चला जाता॥
तेरी यादों की ज्वाला में जलता मेरा तन बदन,
याद तुम्हारी आना फिर आकर चले जाना,
भूल ही नहीं सकता तुमको मुश्किल है पाना,
एक बार आकर तुम कह दो तुम ही हो मेरे जीवन।।
तमन्ना चाहत की कभी न होगी कम,
रूठोगी तुम तब भी मनाते रहेंगे सदा हम,
मज़ा मनाने में जितना उतना रूठने में कहां,
कसम है मुझको अपना बनाओगी हमदम।।
नाकाम मोहब्बत की है खुदगर्ज जमाने ने,
हौसला जिनमें है वह कभी रुसवा नहीं होते,
मजनू अपनी लैला से कभी जुदा नहीं होते,
पत्थर भी पिघलता देखा है तेरे इस दीवाने ने।।
मंजिले आसान होती है चाहत के दीवानों में,
खुदा भी साथ देता है नापाक इरादों में,
मुझे पता है तुम दौड़ी चली आएगी एक दिन,
" नीरज" तो पाकर रहेगा तुमको सदा अरमानों में।।