बहारा
बहारा
मेरी रातों को है
तेरी यादों का सहारा
मेरी नींदों पे है
तेरे ख़्वाबों का पहरा
तेरा एहसास ही है
मेरी साँसों का गुज़ारा
तेरा मिलना करता है
मेरी जिंदगी को बहारा
मोहब्बत में किसी को
इतना तरसाना ठीक नहीं
ये ऐसी मौसम-ए-बहार
बार बार आती नहीं
महबूबा रूठ जाए अगर
उसे मनाना आसाँ नहीं
इश्क़-ए-इज़हार करना
इतना मुश्किल नहीं मगर
उम्र भर उलफ़त निभाना
इतना भी आसान नहीं।